ट्रम्प की 'लिबरेशन डे' योजना ने फिर से इतिहास दोहरा दिया!

जानिए कैसे यह संकट इतिहास के सबसे बड़े शेयर बाजार क्रैश से तुलना करता है। पूरी रिपोर्ट पढ़ें।

1929 वॉल स्ट्रीट क्रैश

24 अक्टूबर को 'ब्लैक थर्सडे' के दिन डॉव जोन्स इंडेक्स में 11% की गिरावट दर्ज हुई। अगले सोमवार और मंगलवार को क्रमशः 13% और 11% की गिरावट ने निवेशकों की कमर तोड़ दी। इस क्रैश ने 1930 के दशक की महामंदी और दूसरे विश्व युद्ध की आर्थिक पृष्ठभूमि तैयार कर दी।

1987 का 'ब्लैक मंडे'

1980 के दशक की तेजी से बढ़ती सट्टा गतिविधियों ने 19 अक्टूबर 1987 को डॉव जोन्स इंडेक्स में 22% की ऐतिहासिक गिरावट ला दी। लंदन का बाजार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। तूफान के कारण स्टॉक एक्सचेंज बंद रहा और फिर खुलते ही FTSE 100 ने 10.8% की गिरावट दर्ज की, अगले दिन इसमें और 12.2% की गिरावट आई।

2000 डॉट-कॉम क्रैश और 9/11

90 के दशक में इंटरनेट कंपनियों के शेयरों में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई, जिससे 1999 में FTSE 100 रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। परंतु, 2000 में डॉट-कॉम बबल फूटते ही बाजार ध्वस्त हो गया। इसके बाद 9/11 हमले ने स्थिति और बदतर कर दी। बाजार अपने निम्नतम स्तर तक गिर गया, जब इराक युद्ध की तैयारी हो रही थी।

2008 वैश्विक वित्तीय संकट

लेहमन ब्रदर्स की दिवालियापन की घोषणा के साथ ही 2008 का संकट गहराया। क्रेडिट संकट और सब-प्राइम होम लोन संकट के कारण वैश्विक बाजारों में हाहाकार मच गया। FTSE 100 ने वर्षभर में अपनी एक-तिहाई से ज्यादा कीमत खो दी। 10 अक्टूबर को लगभग 9% की गिरावट ने संकट की गहराई को दर्शाया।

2016 ब्रेक्जिट वोट

ब्रिटेन के यूरोपीय संघ छोड़ने के फैसले ने भी वैश्विक बाजारों को झकझोर दिया। ब्रेक्जिट के बाद शुरुआती मिनटों में ही FTSE 100 में 8% की गिरावट आई। हालांकि, बैंक ऑफ इंग्लैंड के तत्काल हस्तक्षेप से स्थिति थोड़ी संभली, और दिन का अंत 3.2% की गिरावट के साथ हुआ।

2020 कोविड महामारी

कोविड-19 महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ठप हो गई, तब बाजारों में भयावह गिरावट देखी गई। FTSE 100 ने लगभग 11% की एक दिन की गिरावट झेली, जबकि डॉव जोन्स ने 16 मार्च को लगभग 13% की गिरावट दर्ज की। हालांकि, केंद्रीय बैंकों और सरकारों के तेज कदमों से बाजारों में तेजी से सुधार भी देखने को मिला।

2025

ट्रम्प की 'लिबरेशन डे' योजना ने वैश्विक वित्तीय स्थिरता को बुरी तरह हिला दिया है। इतिहास की प्रमुख आर्थिक गिरावटों पर नजर डालें तो साफ है कि इस बार भी वही पैटर्न दोहराया जा रहा है: अंधाधुंध निवेश, सरकारी नीतिगत झटके और वैश्विक अनिश्चितता। अब दुनिया की नजरें वैश्विक नेताओं पर टिकी हैं कि वे इस संकट से कैसे निपटते हैं।

2025

ट्रम्प की 'लिबरेशन डे' योजना ने वैश्विक वित्तीय स्थिरता को बुरी तरह हिला दिया है। इतिहास की प्रमुख आर्थिक गिरावटों पर नजर डालें तो साफ है कि इस बार भी वही पैटर्न दोहराया जा रहा है: अंधाधुंध निवेश, सरकारी नीतिगत झटके और वैश्विक अनिश्चितता। अब दुनिया की नजरें वैश्विक नेताओं पर टिकी हैं कि वे इस संकट से कैसे निपटते हैं।

2025

ट्रम्प की 'लिबरेशन डे' योजना ने वैश्विक वित्तीय स्थिरता को बुरी तरह हिला दिया है। इतिहास की प्रमुख आर्थिक गिरावटों पर नजर डालें तो साफ है कि इस बार भी वही पैटर्न दोहराया जा रहा है: अंधाधुंध निवेश, सरकारी नीतिगत झटके और वैश्विक अनिश्चितता। अब दुनिया की नजरें वैश्विक नेताओं पर टिकी हैं कि वे इस संकट से कैसे निपटते हैं।