अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित ‘लिबरेशन डे’ (Liberation Day Policy) टैरिफ योजना ने वैश्विक शेयर बाजारों में तहलका मचा दिया है। इस योजना के बाद से दुनिया भर में करीब £4 ट्रिलियन की संपत्ति नष्ट हो चुकी है। विशेषज्ञ इसे 1929 के वॉल स्ट्रीट क्रैश के बाद सबसे गंभीर आर्थिक झटकों में से एक मान रहे हैं।
पिछले सप्ताह वाशिंगटन से ट्रम्प के संबोधन के बाद बाजार में भारी गिरावट देखी गई। निवेशकों के बीच डर का माहौल है क्योंकि अमेरिका के झुकने के कोई संकेत नहीं मिल रहे। वॉल स्ट्रीट का एसएंडपी 500 सूचकांक तेजी से बीयर मार्केट के करीब पहुंच गया है, जो दर्शाता है कि बाजार अपने हालिया उच्चतम स्तर से 20% से अधिक गिर चुका है।
लिबरेशन डे संकट बनाम ऐतिहासिक आर्थिक गिरावटें | Liberation Day Policy
1929 वॉल स्ट्रीट क्रैश
आधुनिक औद्योगिक युग की सबसे बड़ी आर्थिक आपदा मानी जाने वाली यह गिरावट अंधाधुंध शेयर खरीद के कारण आई। 24 अक्टूबर को ‘ब्लैक थर्सडे’ के दिन डॉव जोन्स इंडेक्स में 11% की गिरावट दर्ज हुई। अगले सोमवार और मंगलवार को क्रमशः 13% और 11% की गिरावट ने निवेशकों की कमर तोड़ दी। इस क्रैश ने 1930 के दशक की महामंदी और दूसरे विश्व युद्ध की आर्थिक पृष्ठभूमि तैयार कर दी।
1987 का ‘ब्लैक मंडे’
1980 के दशक की तेजी से बढ़ती सट्टा गतिविधियों ने 19 अक्टूबर 1987 को डॉव जोन्स इंडेक्स में 22% की ऐतिहासिक गिरावट ला दी। लंदन का बाजार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। तूफान के कारण स्टॉक एक्सचेंज बंद रहा और फिर खुलते ही FTSE 100 ने 10.8% की गिरावट दर्ज की, अगले दिन इसमें और 12.2% की गिरावट आई।
2000 डॉट-कॉम क्रैश और 9/11
90 के दशक में इंटरनेट कंपनियों के शेयरों में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई, जिससे 1999 में FTSE 100 रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। परंतु, 2000 में डॉट-कॉम बबल फूटते ही बाजार ध्वस्त हो गया। इसके बाद 9/11 हमले ने स्थिति और बदतर कर दी। बाजार अपने निम्नतम स्तर तक गिर गया, जब इराक युद्ध की तैयारी हो रही थी।
2008 वैश्विक वित्तीय संकट
लेहमन ब्रदर्स की दिवालियापन की घोषणा के साथ ही 2008 का संकट गहराया। क्रेडिट संकट और सब-प्राइम होम लोन संकट के कारण वैश्विक बाजारों में हाहाकार मच गया। FTSE 100 ने वर्षभर में अपनी एक-तिहाई से ज्यादा कीमत खो दी। 10 अक्टूबर को लगभग 9% की गिरावट ने संकट की गहराई को दर्शाया।

2016 ब्रेक्जिट वोट
ब्रिटेन के यूरोपीय संघ छोड़ने के फैसले ने भी वैश्विक बाजारों को झकझोर दिया। ब्रेक्जिट के बाद शुरुआती मिनटों में ही FTSE 100 में 8% की गिरावट आई। हालांकि, बैंक ऑफ इंग्लैंड के तत्काल हस्तक्षेप से स्थिति थोड़ी संभली, और दिन का अंत 3.2% की गिरावट के साथ हुआ।
2020 कोविड महामारी
कोविड-19 महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ठप हो गई, तब बाजारों में भयावह गिरावट देखी गई। FTSE 100 ने लगभग 11% की एक दिन की गिरावट झेली, जबकि डॉव जोन्स ने 16 मार्च को लगभग 13% की गिरावट दर्ज की। हालांकि, केंद्रीय बैंकों और सरकारों के तेज कदमों से बाजारों में तेजी से सुधार भी देखने को मिला।
ट्रम्प की ‘लिबरेशन डे’ Liberation Day Policy योजना ने वैश्विक वित्तीय स्थिरता को बुरी तरह हिला दिया है। इतिहास की प्रमुख आर्थिक गिरावटों पर नजर डालें तो साफ है कि इस बार भी वही पैटर्न दोहराया जा रहा है: अंधाधुंध निवेश, सरकारी नीतिगत झटके और वैश्विक अनिश्चितता। अब दुनिया की नजरें वैश्विक नेताओं पर टिकी हैं कि वे इस संकट से कैसे निपटते हैं।